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5 हजार पौधरोपण ओर 10 हजार निशुल्क पौधे बाटने वाली अपना ग्रीन संस्था दे रही है पर्यावरण को बढ़ावा।

पेटलावद@डेस्क रिपोर्ट

लगातार पर्यावरण के दूषित होने के कारण *पौधे लगाओ पर्यावरण बचाओ* का नारा न सिर्फ भारत देश बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर का नारा है ,पृथ्वी पर बसे सभी देश वहां के रहवासी समाजिक, धार्मिक,राजनीतिक संस्थाए लगातार पर्यावरण को बचाने और व्रक्षारोपन पर बल देते है लगातार इस क्षेत्र में कार्य भी हो रहे , हमारे देश मे तो इसके लिये आयोग और संस्था भी बनी हुई है। हर आयोजन में पौधरोपण एक परंपरा बन चुका है ।

*प्रकृति का पूजन करते है इस क्षेत्र के रहवासी*

हमारे आदिवासी अंचल में जहां वनवासी बन्धु ओर किसान तो प्रकृति पूजक के रूप में जाने जाते है और वे बिना किसी प्रकार का दिखावा करे बगैर पर्यावरण को बचाने और व्रक्षारोपन के कार्य करते ही रहते है ।

*अपना ग्रीन पेटलावद कि काबिल ए तारीफ मुहिम*

लेकिन पेटलावद क्षेत्र में अपना ग्रीन पेटलावद नामक की संस्था इस क्षेत्र में अद्वितीय ओर सराहनीय काम को अंजाम दे रही है जो न सिर्फ काबिल ए तारीफ है बल्कि अन्य लोगो के लिए प्रेरणादायक भी है ।

*कर चुके 5 हजार पौधरोपण ओर 10 हजार पौधों का निशुल्क वितरण*

अपना ग्रीन पेटलावद संस्था के अग्रणी युवाओं के आइकॉन ओर नगर में एक अलग पहचान रखने वाले अनिल कुमार चौधरी के अगुवाई में वर्ष 2019 से काम कर रही इस संस्था में लगभग 150 से ज्यादा सदस्य जुड़े हुए है , जिन्होंने पिछले सालों में 5000 से ज्यादा पौधे रोपित किये है ओर इनकी देखरेख, करते हुए इनमें से 3500 पौधे पेड़ का रूप ले चुके है,वही 10 हजार से ज्यादा पौधों का निशुल्क वितरण भी इस संस्था ने किया है । जो अपने आप मे एक बडी उपलब्धि है।

*कमजोर पड़ रही मुहिम*

लेकिन ईतनि अछी मुहिम पिछले कुछ समय से कमजोर पड़ती जा रही है जिसके पीछे कुछ जमीनी स्तर के कारण भी है। इस बारे में चर्चा करते हुए *संस्था के अनिल कुमार चौधरी* ने बताया कि नगरीय क्षेत्र में 5 हजार से ज्यादा पौधारोपण करने के बाद इनकी देखभाल करना बड़ी चुनोती है पौधे की सुरक्षा के लिये आवश्यक साधन जाली , तार आदि की उपलब्धता , नही होने से ओर पशुओं के द्वारा नुकसान करने से पौधों के बड़े होने से पूर्व ही भ्रूण हत्या हो जाती है ।

*पॉधरोंपन के लिये नही है पर्याप्त ओर उपयुक्त जमीन , बड़ा रोड़ा*

ओर इसके ऊपर लगने वाला खर्च ओर धन की कमी के अलावा सबसे बडी समस्या पौधरोपण के लिये माकूल ओर जमीन ओर स्थान की कमी है क्योंकि नगर लगातार विकास और निर्माण होने ओर रहवासी एरिया बढ़ने से शहर बनता जा रहा है इसलिय पौधारोपण के लिये जगह कम पड़ती जा रही है ।इस तरह से पर्याप्त जमीन के अभाव में अपना ग्रीन संस्था चाहकर भी पौधारोपण की गतिविधियां नही कर पा रही है।

*ग्रीन पित्र पर्वत ओर हाथीपावा जैसा विकसित करने का सपना*

जिस तरह से इंदौर में ग्रीन पित्र पर्वत ओर झाबुआ में हाथीपावा क्षेत्र में विशाल पौधारोपण करते।हुए इन क्षेत्रों को डेवलप किया गया है।ठीक इसी तर्ज पर पेटलावद क्षेत्र में भी इस संकल्पना को पूरी करना का ईरादा रखने वाली यह संसथा ओर इसके सदस्य क्षेत्र में किसी उचित स्थान के लिये संघर्षरत है। संस्था के सदस्य प्रशासन, राजस्व विभाग और नगर परिषद से अपेक्षा करते है कि कोई खाली जमीन या पहाड़ी इस संस्था को उपलब्ध करवा दी जाए बस फिर वे अपने प्रयासों से उस रिक्त स्थान को आने वाले समय मे हराभरा करने का बीड़ा उठाकर क्षेत्र को हरियाली कर देंगे।

*आगे आये पर्यावरण प्रेमी*

मात्र पर्यावरण बचाओ के नारे लगाने से कुछ नही होगा अपना ग्रीन संस्था की पेटलावद क्षेत्र के पर्यावरण प्रेमियों ओर प्रशासन से जरूर यह अपेक्षा है कि इस मुहिम को आगे बढ़ाए ताकि हमारा क्षेत्र भी इंदौर के ग्रीन पित्र पर्वत ओर झाबुआ के हाथीपावा जैसा हरियाली हो जाए । इसके लिये क्षेत्रवासियों से यह अपेक्षा है कि इस मुहिम से जरूर जुड़े ।

*इनका है कहना*

अपना ग्रीन संस्था के अनिल कुमार चौधरी का कहना है कि यदि शाशन या नप हमे कोई रिक्त भूमि या पहाड़ी उपलब्ध करवा दे तो हम उस क्षेत्र को अपने प्रयासों से हराभरा कर देंगे।

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