अहिंसा के मसीहा आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी की पुण्य तिथि रायपुरिया के तेरापंथ सभा भवन में मनाई गई।

रायपुरिया@राजेश राठौड़
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के दशमाधिशास्ता आचार्य श्री महाप्रज्ञजी एक विलक्षण अ आचार्य हुए। वे मूर्धन्य विद्वान थे। उनके साहित्य ने विहद समाज में अलौलिक ख्याति प्राप्त की। भारत के राष्ट्रपति डा. ए.पी. जे. अब्दुल कलाम ने अनेक बार उस मानवता के मसीहा के दर्शन कर ऊर्जा को अर्जित किया। उनके जीवन में अध्यात्म और विज्ञान का समन्वय था। आचार्य श्री जुलसी के पास अपनी मेधा के आधार पर वे अज्ञ से विज्ञ विज्ञ से महाप्रज्ञ बन गये। उनकी विद्या और विनम्रता बेजोड़थी। ये उद्गार साध्वी उर्मिलाकुमारीजी ने अपने उद्बोधन में व्यक्त किए। साध्वी मृदुलयशाजी व साध्वी ज्ञानयशा जी ने वक्तव्य एवं गीतिका के माध्यम से श्रद्धास्वर समर्पित किए। तेरापंथसभाध्यक्ष श्री प्रकाशजी कोटड़िया, ज्ञानचन्द जी मूणत, पारसमल जी कोटड़िया, रमणलाल जी कोटडिया, फूलचंदजी कासवा, राजेशजी वोरा ने भी श्रद्धा सिक्त विचाराभिव्यक्ति दी। रायपुरिया महिलामंडल ने मधुरस्वरों में संगीत का संगान किया। कार्यक्रम का प्रारंभ महाप्रज्ञ अष्टकम् से किया गया। लगभग ५० लोगों ने उपवास एकासन आदि तप के माध्यम से अपने गुरु के प्रति श्रद्धा समर्पित की। सायंकाल सामूहिक सामायिक वस्वाध्यायमय वातावरण से आध्यात्मिक वातावरण बन गया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी रितुयशा जी ने किया। पेटलावद, रायपुरिया के श्रावक समाज में संघ वसंघपति के प्रति अभिनव श्रद्धा झलक रही थी। सभी ने अपने सौभाग्य की सराहना की।