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अंचल में शादियों की धूम ठाठ बाट से जाती है बारात।

रायपुरिया@राजेश राठौड़ 

रायपुरिया निप्र, अंचलों में अभी शादियों की धूम है जहा देखो वहा नाच गाना इससे बाजारों में रौनक बड़ गई है आदिवासी समाज अधिकतर फरवरी महीने हिंदू धर्मानुसार माह महीने में अधिक शादी होती है इनकी शादियों में समयानुसार बदलाव आया है पहले ग्रह नक्षत्र चांद और तारे को देख कर शादी का मूहर्त कर देते थे लेकिन अब अधिकतर पंडित विद्वानों से मूहर्त निकलवाते पत्रिका भी छपवाकर विधिवत परिवार में दी जाती है ,शादियों में ढोल की जगह अब डीजे ने ले ली है बारात जब निकलती है तो वह किसी मंत्री के काफिले से कम नहीं होती दस बीस कार मोटरों से अधिक होती है बड़े ठाठ बाट से बारात जाती है गंगाराम बा बताते हे हमारे जमाने में पहले बारात बैलगाड़ी में जाती थी और बारात पहुंचने पर उसे किसी पेड़ के नीचे ठहराते थे भोजन भी वही होता था अब बारात सीधे दुल्हन के घर जाती है भोजन भी अब टेंट में एक साथ बैठ कर होता है। शादियों से बाजार भी गुलजार हो रहे हैं शादियों की खरीददारी बड़ गई हैं जिससे व्यापारी भी खुश है।

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