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बहुत याद आती हैं पापा तुम्हारी मुंबई से पधारे फिल्म गीतकार मनोज दुबे ने जब यह गीत सुनाया तो श्रोताओं के आंखों में आंसू आ गए।

रायपुरिया@राजेश राठौड़ 

रायपुरिया निप शहीदचंद्रशेखर आजाद बस स्टैंड पर एक विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जो देर रात तक चला जिसमें मां शारदा की वंदना कर कार्यक्रम की शुरुआत नागेंद्र ठाकुर ने की पश्चात नरेंद्र ने खेतड़ी ने हास्य से पंडाल को हास्य से गुदगुदा या अपने हाथ से पैरोडियों से रामबाबू सिकरवार ने जनता को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया फिल्मों में गीत लिखने वाले मनोज शर्मा ने पिता की कविता से लोगों की आंखों को नाम कर दिया कवित्री कवित्री नम्रता श्रीवास्तव और संचालक की तीखी नोकझोंक लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया वहीं निसार पठान और नागेंद्र ठाकुर ने देश भक्ति से बहुत-बहुत कविताओं से जय श्री राम और भारत माता की जय के नारों से पूरा पंडाल गुरु उठा कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉक्टर चंचल ने पूरे कार्यक्रम को बांधे रखा आभार प्रदर्शन सुनील भंडारी ने किया। बहुत याद आती हे पापा तुम्हारी….जब मुंबई से पधारे फ़िल्म गीतकार मनोज दुबे ने अपना गीत , बहुत याद आती हे पापा तुम्हारी सुनाया तो उपस्थित जन समुदाय की आँखों से आंसू बहने लगे गीत के बोल…वो संघर्ष के दिन बहुत ही कड़े थे,मगर गम नहीं था तुम जो खड़े थे,वो कांदे की चटनी वो बेसन की रोटी, ये यादें हे लम्बी उम्र कितनी छोटी, सारे दुःखो से थी यारी, तुम्हारी,बहुत याद आती हे पापा तुम्हारी।

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