गल,चूल मेले में मन्नतधारी दहकते अंगारों पर नंगे पैर चले और गल पर उलटे लटक कर घूमे।
रायपुरिया@राजेश राठौड़
रायपुरिया निप होली के दुसरे दिन धुलेंडी की दोपहर गांव में गल चुल मेला का आयोजन हुआ इस चमत्कार को देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुजन पहुंचते हैं मन्नत धारी ने अपनी मन्नत उतारी कहते की मन में अगर आस्था और श्रद्धा होती हैं तो भगवान वह जरूर पुरी करतेहैं आदिवासी अंचलों में ग्रामीण लोग अपने परिवार में कोई विपत्ति आ जाती है तो वह गल बाबजी एवं चुल माता की मन्नत ले लेते हैं उनकी मन्नत पूरी होने पर वह उतारने पहुंचते हैं गल में चार बड़े खंबे होते हैं वह भी बीस फिट के ऊपर एक मचान होता एक गीले बांस की लम्बी लकड़ी होती उस पर मन्नत धारी व्यक्ति को उल्टा लेटाया जाता उसके बाद घुमाया जाता हैं गल में घुमाने वाले मांगु भुरिया ने बताया कि हमारी लड़की की अचानक तबीयत ख़राब हो गई थी एक समय ऐसा लग रहा था वह अब इस दुनिया में हे ही नहीं तो मुझे आस पास के पड़ोसी ने बताया की गल बाबजी की मन्नत ले ले मैंने उसी समय स्नान कर अगरबत्ती लगाई और गल बाबजी से विनती की मेरी बच्ची सही सलामत हो जाएगी तो पांच वर्ष गल घूमुंगा ओर मेरी बच्ची की तबीयत में सुधार हो गया मन्नत धारी आठ दिनों तक नंगे पैर रहता है और आठ दिन जहां जहां भगोरिया हाट रहता वहा पर जाते हैं शरीर पर लाल रंग का कपड़ा होता हाथों श्रीफल, कांच, कंघी व शरीर पर हल्दी आंखों मे काजल लगाते हैं मन्नत धारी व्यक्ति स्वयं अपने हाथों से खाना बनाकर खाते है किसी के हाथों से पानी भी नहीं पीते है खुद भर कर लाते और साथ में रखते इतनी कठोर मन्नत होती है वही चुल माता जिन्हे यानी हिंगलाज माता कहते चुल पांच फिट लम्बी होती और इतनी ही घेहरी होती जहां पर लकड़ी के अंगारों रखे जाते है इन दहकते अंगारों पर मन्नत धारी चलते हैं पैरों में खरोज तक नहीं आती मन्नत धारी भुरी बाई बतातीं है मुझे चार वर्ष हो गये चूल चलते हुए मेरी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हुई एक वर्ष ओर चलना है लगभग चालीस वर्ष से गल चुल मेला का आयोजन गांव घोडथल के ग्रामीण करते है और वहीं पुजा पाठ करते हैं गांव के सरपंच प्रतिनिधि नन्दलाल निनामा ने भी गल में घुम कर गांव की सुख शांति समृद्धि की कामना की।