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इस वर्ष की नई फसल आने पर आदिवासी समाज जातर मनाने लगे।

रायपुरिया@राजेश राठौड़ 

रायपुरिया निप्र, आदिवासी अंचल में फसल जब पकती है तो पहले भगवान को चढ़ाई जाती है इसलिए उनकी एक परम्परा है जिसे जातर कहा जाता है जो आज भी बखूबी निभा रहे है मक्का की फसल आते ही उनके फलिये में गाँव मे स्थित माताजी के मंदिर में पूजा होती है रात्रि जागरण कर भजन कीर्तन होता है और अगली सुबह मक्का के भुट्टो की खीर बनाकर माताजी को भोग लगाया जाता है और प्रसादी वितरण की जाती है स्थानीय निवासी सावन भाबर तालापाड़ा एवं ऊंकार भाई बताते है कि इसमें सभी आदिवासी भाई अपने अपने खेतों से भुट्टे लाकर एक ही जगह खीर बनाते है और ढोल धमाकों के साथ नाच गाना करते है इस दिन सभी लोग अपना खेती का घर का काम बंद रखते है जातर के बाद समाज से कुछ लोग भुट्टे लेकर राजस्थान के रामदेवरा व सांवरिया जी मंदिर जाकर चढ़ाते है फिर अपने परिचितों के यहां भुट्टे रखने जाते है और अपने रिश्तेदारों को भुट्टे खाने के लिए बुलाते है कई लोग इसे अपनी बोली में नवाई भी कहते है यह एक ऐसी परम्परा है जिसमे आपसी भाईचारे के सन्देशा मिलता है आदिवासी समाज अपनी परम्पराओ के प्रति समर्पित है और उन्हें अच्छी तरह निभाते है अगर परम्पराओ को निभाना है तो इस समाज से सीखना चाहिए।

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