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रायपुरिया से राजेश राठौड की नवरात्रि स्पेशल रिपोर्ट
झाबुआ से मात्र 30 किलोमीटर दूर मोहनकोट के घने जंगलों में स्थित नंदर माता का मंदिर एक ऐसा स्थान है, जहां चमत्कार और रहस्य के धागों से बुनी कहानियां गांव-गांव में चर्चा का विषय बनी हुई हैं ,कहा जाता है कि यहां महिला की गोद सूनी नहीं रहती , किसी की भी मांग मां यहां अधूरी नहीं छोड़ती …. भक्तों की हर मुराद यहां पूरी होती है, *लेकिन एक शर्त के साथ* – मन्नत पूरी करने के बाद यहां प्रसादी या बलि का भोजन वहीं पर समाप्त करना अनिवार्य है। यहां से कुछ भी घर ले जाना मौत को न्यौता देने के बराबर माना जाता है।
मंदिर की अद्भुत मान्यताएं…
नंदर माता के इस मंदिर में यदि कोई भक्त भोजन या बलि की प्रसाद घर ले जाने की गलती करता है, तो माता का रौद्र रूप उसके जीवन पर हावी हो जाता है। अनेक दुर्घटनाओं और अप्रिय घटनाओं के किस्से इस बात की पुष्टि करते हैं कि माता का गुस्सा अत्यंत भयानक है। गांववालों का कहना है कि इस मंदिर से कोई भी वस्त्र, चांदी या लकड़ी चुराने की भी कोशिश कभी सफल नहीं हुई। एक बार जो चोरी करता है, वह मंदिर छोड़ने से पहले उसके साथ अप्रिय घटना शुरू हो जाती हे,या गंभीर दुर्घटना का शिकार हो जाता है।
रहस्यमयी घटनाओं की दास्तां..
कहते हैं, यहां चोरों ने एक बार माता के आभूषण चुराने की कोशिश की। लेकिन वह चुराई गई चांदी जंगल में वापस एक रहस्यमयी स्थान पर पाई गई, ऐसी कई घटनाओं के बाद, जंगलवासियों ने कसम खा ली कि इस पवित्र स्थान से कोई चीज न तो चुराई जाएगी और न ही जंगल से एक भी लकड़ी घर ले जाई जाएगी।
क्यों डरते हैं लोग…?
मालवा और झाबुआ से मन्नत मांगने वाले सैकड़ों भक्त यहां अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं। लेकिन मंदिर की अनूठी परंपरा के अनुसार, मन्नत पूरी होने के बाद प्रसाद या बलि का प्रसाद वहीं पर खाना जरूरी है। किसी भी प्रकार का अन्न, बलि का प्रसाद या शराब अगर कोई व्यक्ति मंदिर से बाहर ले जाने की कोशिश करता है, तो माता का क्रोध उस व्यक्ति पर ऐसा बरसता है कि उसके जीवन में अनहोनी दस्तक देने लगती है। इसे सत्य मानकर गांव वाले कभी भी मंदिर से कुछ घर नहीं ले जाते।
माता के खुले खजाने की कहानी..
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि *मंदिर में माताजी के शरीर पर क्विंटल से भी अधिक चांदी* खुले में पड़ी रहती है। परंतु, आज तक किसी ने इसे हाथ लगाने की हिम्मत नहीं की। न ही मंदिर के चारों ओर कोई सुरक्षा गेट है। स्थानीय लोग मानते हैं कि इस पवित्र स्थान पर कोई चोरी करने की सोच भी नहीं सकता। चांदी के तार की एक कतरा तक चुराना मौत को गले लगाने के समान है।
इस मंदिर का डरावना इतिहास और मां का रौद्र रूप सदियों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। जितना यह स्थान भक्तों के लिए पूजनीय है, उतना ही चोरों और लालचियों के लिए भय का प्रतीक बना हुआ है।
हमारी पीढ़ियों द्वारा यहां सैकड़ो वर्षों से मां की सेवा की जा रही है, इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां नंदर माता से जो भी मान मन्नत मांगी जाती है वह अवश्य पूरी होती हे, मन्नत पूरी करने पर यहां पाठ बली दी जाती है , जिसकी भोजन प्रसादी यहीं पर ग्रहण करना होती है, यदि घर ले जाने की कोशिश या किसी प्रकार की चोरी यहां होती है तो उस परिवार के साथ अप्रिय घटना होती है, एवं उसे फिर से वह मान मन्नत पूरी करना होती है। यह 10 किलोमीटर के अधिक जंगल फैला हुआ है जहां की लकड़ी भी गांव वाले उपयोग में नहीं लाते हैं।
पंडित , नारायण मेड़ा
मैं यहां बरसों से मंदिर में करने आता हूं ,मेरी कई मन्नत यहां पर मां ने पूरी की है , मां कोई भी मांग अधुरी नहीं छोड़ती , यहां जो भी मन्नत ली जाती है ,वह यहीं पर पूरी करना पड़ती है, इस मंदिर की एक और खासियत है कि यहां चांदी खुली ही पड़ी रहती है , यहां कोई चोरी नहीं कर सकता और कोई चोरी करने की कोशिश करता है तो उसके साथ कई प्रकार की अनहोनी घटनाएं होती हे।
भक्ति राजेंद्र मुनिया
इस मंदिर पर दूर-दूर से दर्शन करने के लिए लोग पहुंचते हैं, और यहां मालवा क्षेत्र से भी काफी संख्या में लोग अपनी मन्नत मांगने आते हैं ,और मन्नत पूरी होने पर यहां भोजन प्रसादी का आयोजन भी किया जाता है, इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां पर बनाई हुई भोजन प्रसादी यहीं पर ग्रहण करना पड़ती है, अन्यथा माताजी रुष्ट होती है , ऐसी कहानी , घटनाएं यहां हमने देखी और महसूस की हे।
दुकानदार नारायण सोलंकी
मैं यहां बरसों से यही रहती हूं हमारे गांव में कोई भी इस जंगल की लकड़ी तक उपयोग में नहीं लाता है, हम खुद चूल्हे की लकड़ी के लिए दूसरे जंगल से लकड़ी लाते हैं, इस मंदिर से कोई भी कुछ नहीं ले जा सकता ऐसी मान्यताएं है कि यहां से कोई भी चीज ले जाने की कोशिश करता है तो मन रुष्ट होती है और उसके घर अनहोनी घटनाएं होती है।
देतली , स्थानीय निवासी