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खरीफ फसल की तैयारी में जुटे डाही अंचल के किसान खेतों की हो रही तैयारी।

#JhabuaHulchul

रायपुरिया@राजेश राठौड़ 

रबी फसल की कटाई – मिंजाई के बाद अब किसान खरीफ फसल की तैयारी में जुट गए हैं। खेतों की साफ-सफाई कर उसमें गोबर खाद सहित अन्य रासायनिक उर्वरक डाल रहे हैं। इसके साथ ही साथ सोसाइटियों से खाद का उठाव भी हो रहा है। मानसून आते ही किसानी कार्य में तेजी आ जाएगी।

पेटलावद क्षेत्र कृषि प्रधान इलाका है। अगर बात की जाए तो किसानों की निर्भरता पूरी तरह कृषि पर ही आधारित है तथा इस वर्ष मौसम विभाग के द्वारा किए गए भविष्यवाणी की माने तो अच्छी बारिश के संकेत भी दिए गए हैं। इसके चलते किसान अपनी खरीफ फसल की तैयारी में पूरी तरह जुट चुके हैं। इन दिनों किसान खेतों की जुताई, समतलीकरण के साथ-साथ खेतों की सफाई करने में लगे हुए हैं। अंचल के सभी गांव के किसान अपने खेतों की साफ – सफाई में जुट गए हैं। रबी फसल लेने के बाद अब खरीफ फसल की तैयारी कर रहे हैं। कई किसानों ने अपने खेतों की जुताई कर उसे छोड़ दिया है ताकि खेतों में रहने वाले जीवाणु मर सके। कई किसान खेतों की उर्वरकता को बरकरार रखने गोबर खाद डाल रहे हैं। ट्रैक्टर व बैलगाड़ी के माध्यम से गोबर खाद खेतों तक ले जा रहे हैं। जैसे ही वर्षा होनी शुरू होगी खेती किसानी कार्य में गति आ जाएगी।

अंचल के किसान फसल लेने के बाद सूखे पौधों को खेत में ही जला रहे हैं। इसके चलते पर्यावरण व मृदा प्रदूषण हो रहा है। वहीं इसके चलते लोगों के स्वास्थ्य पर भी लगातार बुरा असर पड़ रहा है। किसान प्रदीप परमार का कहना है कि खरीफ फसल की तैयारी सप्ताह भर से जारी है। कई किसानों ने अभी से बीज का संग्रहण कर लिया गया है। अंचल में मानसून की शुरुआत होते ही खरीफ फसल सोयाबीन, मक्का, कपास आदि की बोआई कर देंगे। फिलहाल खेत की जुताई की जा रही है। किसानों का कहना है कि इस साल पड़ रही तेज गर्मी से अच्छी वर्षा की उम्मीद है। खेतों की जुताई का कार्य लगभग पूर्ण हो गया है। इस साल अच्छी वर्षा की उम्मीद है। खेतों की जुताई कर रहे हैं। वर्षा होते ही सोयाबीन के बीज को खेतों में छिड़क देंगे। किसानों द्वारा फसल की कटाई के बाद बचे हुए पौधों को खेतों में ही जला रहे हैं, जिससे मृदा का तापमान बढ़ जाता है जो भूमि की उर्वरकता को बढ़ाने वाले सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर देता है।

खाद का किया जा रहा स्टाक:

16 जून के बाद मानसून का आगमन हो जाएगा। इसको ध्यान में रखते हुए छोटे व बड़े किसान सोसाइटियों से खाद खरीद कर ले जा रहे हैं। ताकि वर्षा के दिनों में उन्हें खाद खरीदने के लिए परेशान न होना पड़े। कई किसान प्राइवेट दुकान से खाद व बीज खरीद रहे हैं। किसान जितेंद्र पाटीदार ने बताया खरीफ फसल की तैयारी की जा रही है। बीज का संग्रहण कर लिया गया है। किसान प्रारंभिक तैयारी तो कर ही रहे हैं वहीं प्रशासन भी किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए खाद एवं बीज का भंडारण भी युद्घ स्तर पर शुरू कर दिए हैं, ताकि किसानों को किसी तरह की कोई दि-त खाद व बीज के नाम से न होने पाए।

उर्वरक खरीदते समय सतर्क रहें किसान:

बारिश का मौसम सामने है और किसान खरीफ की बुआई करने के लिए खेतों को तैयार करने में जुटे हुए हैं। खरीफ की उपज को बढ़ाने के लिए किसान उर्वरकों का उपयोग भी करते हैं। खरीफ की बुआई करीब 30 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में होती है, जिसके चलते उर्वरकों का उपयोग भी बड़ी मात्रा में होता है, जिसका फायदा उठाकर कुछ दुकानदार कृषि विभाग के अधिकारियों की नजर बचाकर नकली उर्वरक बेच देते हैं, जिसका सीधा नुकसान किसान एवं फसल को होता है। इसी को लेकर कृषि विभाग ने किसानों को जागरूक रहकर असली व नकली उर्वरक की पहचान करके खरीद करने का आह्वान किया है। किसान उर्वरक एवं बीज खरीदते समय कुछ सामान्य जानकारी रखकर बाजार में मिलने वाले नकली उर्वरकों की पहचान करके षड्यंत्र के शिकार होने से बच सकते हैं, क्योंकि नकली बीज एवं उर्वरक न केवल उत्पादन को प्रभावित करते हैं, बल्कि किसान को आर्थिक रूप से भी नुकसान पहुंचाते हैं।

बीज के चयन को लेकर संभ्रम:

कृषि बीज की अनेक वेरायटियां बाजार में उपलब्ध है। सभी कंपनियां अपना बीज दूसरी कंपनी से कैसे बेहतर है, यह दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। किस बीज का चयन करें, इसे लेकर किसानों में संभ्रम बना हुआ है। कंपनियों के लालच में फंस न जाए, इसलिए किसान फूंक-फूंक कर कदम डाल रहे हैं। तहसील कृषि अधिकारी तथा कृषि विशेषज्ञ व प्रगतिशील किसानों से सलाह लेकर ही बीज खरीदी कर रहे हैं।

बीज, उर्वरक एवं कीटनाशक खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान:

 सभी किसान बीज, उर्वरक एवं कीटनाशक अधिकृत विक्रेता से ही खरीदें।

किसान कृषि आदान संबंधित किसी भी प्रकार का बीज, उर्वरक एवं कीटनाशक ऑनलाइन नहीं मंगा कर ऑनलाइन होने वाली संभावित ठगी से बचें।

किसी भी प्रकार का कृषि आदान खरीदते समय अधिकृत विक्रेता से बिल अवश्य प्राप्त करें।

कृषि आदानों का उपयोग करते समय इसकी निर्धारित मात्रा एवं सही आदान का ही प्रयोग करें, ताकि होने वाले अपव्यय से बचा जा सके।

घरों की हो रही मरम्मत:

ग्रामीण बारिश से पूर्व अपने कच्चे मकानों के छप्पर की मरम्मत में भी व्यस्त दिख रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में कच्चे मकानों का खपरैल टूट-फूट जाता है, जिसकी मरम्मत बारिश पूर्व करना अनिवार्य हो जाता है। वहीं खाद बीज व्यापारी के यह बीजों का स्टॉक होने लग गया है व्यापारी अपने गोदाम में कपास मक्का बीज भर रहे ऐसे में कृषि विभाग को ध्यान देने की जरूरत है।

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