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कलश यात्रा के साथ श्रीमद् भागवत कथा का हुआ शुभारंभ।

रायपुरिया@राजेश राठौड़ 

रायपुरिया- माँ भद्रकाली की पावन धरा पर स्थित ग्राम रायपुरिया में भागवत कथा के आरम्भ से पहले आचार्य श्री देवेंद्र शास्त्री ने भागवत के अस्तित्व का वर्णन करते हुए बताया। भागवत क्या है? कृष्ण द्वारा दिये गए ज्ञान का काव्यात्मक रूप है पर है तो ज्ञान। परन्तु जब धर्म ग्रन्थों के अर्थ का अनर्थ कर दिया जाए तो धार्मिक क्लेश होता है, हमे उन ग्रन्थों का सही अर्थ समझना होगा।

व्यास पीठ की महिमा बताते हुए उन्होंने कहा नमोस्तुते व्यास विशाल बुद्धि। व्यास पीठ पर विराजमान संत का विशाल हृदय होना चाहिए। संकीर्ण मन से वह आपका मार्गदर्शक नहीं बन सकता। व्यास पीठ विशाल हृदय है सभी धर्मों को मानता है। ओर ये उस परमपिता को पाने का मार्ग है।

धर्मग्रन्थ उस मार्ग के विषय मे सारी जानकारी देने का माध्यम है और सारे पुराण पंचम वेद रूपी है। कलयुग में मनुष्य अपने भावों को सत्संग के माध्यम से ही स्थिर रख सकता है। सत्संग के बिना विवेक उत्पन्न नहीं हो सकता और सांवलिया सेठ के कृपा के बगैर सत्संग सुलभ नहीं हो सकता हैं।

*श्रीमद् भागवत कथा का 7 दिनों तक श्रवण करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप धुल जाते हैं।*

आचार्यश्री देवेंद्र शास्त्री ने कथा में कहा कि श्रीमद्भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है। यह परमहंसों की संहिता है। भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाता है। भागवत कथा भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है।

जब पुण्यों का उदय होता है एवं ईश्वर एवम पूर्वजों का अनुग्रह मिलता है, तब मनुष्य को श्रीमद भागवत कथा के श्रवण का लाभ मिलता है। धन, ऐश्वर्य, मान सम्मान सब क्षणिक वस्तुएं हैं, यदि आपके जीवन में सही सत्संग है तो आपका जीवन धन्य हो जाएगा l श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण मात्र से जन्मों जन्मों के पाप क्षीण हो जाते हैं और मनुष्य मोक्ष को प्राप्त होता है l श्रीमदभागवत कथा भगवान का साक्षात स्वरूप हैl श्रीमद् भागवत कथा के अनुष्ठान का बहुत पुण्य लाभ मिलता है। इस कथा के श्रवण मात्र से मनुष्य दुखों से दूर होता है।

ये उदगार बसंतीलाल सोलंकी द्वारा ग्राम रायपुरिया में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस पर श्री हरिहर आश्रम के पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. देवेन्द्र शास्त्री ने व्यक्त किये। कथा पांडाल में पहले दिन ही सम्पूर्णअंचल सहित सीमावर्ती राज्यों से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा हुआ। विशाल धर्मसभा का सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि चित्त की स्थिरता के साथ ही श्रीमदभागवत कथा सुननी चाहिए। भागवत श्रवण मनुष्य के सम्पूर्ण कलेश को दूर कर भक्ति की ओर अग्रसर करती है। उन्होंने अच्छे ओर बुरे कर्मों की परिणिति को विस्तार से समझाते हुए आत्मदेव के पुत्र धुंधकारी ओर गौमाता के पुत्र गोकरण के कर्मों के बारे में विस्तार से वृतांत समझाया और धुंधकारी द्वारा एकाग्रता पूर्ण भागवत कथा श्रवण से प्रेतयोनी से मुक्ति बताई। वहीं धुंधकारी की माता द्वारा संत प्रसाद का अनादर कर छल.कपट से पुत्र प्राप्ती ओर उसके बुरे परिणाम को समझाया। मनुष्य जब अच्छे कर्मो के लिए आगे बढता है तो सम्पूर्ण सृष्टि की शक्ति समाहित होकर मनुष्य के पीछे लग जाती है और हमारे सारे कार्य सफल होते है। ठीक उसी तरह बुरे कर्मों की राह के दौरान सम्पूर्ण बुरी शक्तियां हमारे साथ हो जाती है। इस दौरान मनुष्य को निर्णय करना होता कि उसे किस राह पर चलना है। छल ओर छलावा ज्यादा दिन नहीं चलता। विदित हो कि 7 से 15 दिसम्बर तक सुबह 11 बजे से 3 बजे तक भागवत भक्ति महोत्सव होने जा रहा है। कथा आयोजन के मनोरथी बसंतीलाल सोलंकी , वैभव सोलंकी मोहनकोट वाले प्रमुख है। शुभारंभ अवसर पर आयोजक परिवार के बसंतीलाल सोलंकी, वैभव सोलंकी, मितांश सोलंकी, विक्रम आयशर ग्रुप के एमडी हरिओम पाटीदार बदनावर, अजमेरसिंह भूरिया, हेमेंद्रसिंह राठौर, अनोखीलाल पडियार, नयन पडियार, नानालाल पाटीदार, मुकेश पटेल , बगदीराम पाटीदार आदि ने व्यासपीठ की पूजन कर कथा के विराम समय पर आरती संपन्न हुई।

*कलश यात्रा के साथ हुआ शुभारंभ*

भागवत कथा शुभारम्भ के पहले हजारो की संख्या में महिलाएं पीले वस्त्र एवं लाल साड़ियों में सिर पर कलश रख नगर के मुख्य मार्गों से निकलती हुई श्रीराम मंदिर ग्राम रायपुरिया से जल से भरे हुए नारियल युक्त कलश लेकर कथा स्थल पहुंची l कलश यात्रा का जगह-जगह पर पुष्पों से भव्य स्वागत किया गया। इस अवसर पर मातृशक्ति समूह में श्रीमती सन्तोष जी मालवीय, रौनक सोलंकी, धापूबेन पाटीदार, सुनीता भाटिया, सुभद्रा बेन पाटीदार, लक्ष्मीनारायण पाटीदार, हरिराम बनी वाले, रतनलाल पाटीदार सहित सेकड़ो की तादात में श्रोता उपस्थित थे।

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