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नाबालिका को बहला फुसलाकर अपहरण कर्ता को हुआ 10 वर्ष का कारावास।

झाबुआ@बबलू बैरागी

 

माननीय विशेष न्‍यायाधीश(लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम) श्री राजेन्‍द्र शर्मा, झाबुआ जिला झाबुआ द्वारा आरोपी मुन्‍ना उर्फ मनीष पिता रतना उम्र 23 साल निवासी कुण्‍डला को दोषी पाते हुये धारा 363, 366 भादवि में 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000/- रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया।शासन की ओर से प्रकरण का संचालन श्रीमति मनीषा मुवेल, अति. जिला लोक अभियोजन अधिकारी जिला झाबुआ द्वारा किया गया।जिला मीडिया प्रभारी सुश्री सूरज वैरागी, एडीपीओ झाबुआ द्वारा बताया गया कि दिनांक 03.05.2021 को रात में करीब 11 बजे फरियादी व उसकी पत्नि घर में खाना खा रहे थे तथा नाबालिक पीडि़ता घर आंगन में बैठी थी । खाना खाकर फरियादी ने बाहर देखा तो पीडि़ता नही दिखी । थोड़ी देर बाद तक भी पीडिता घर पर नहीं आई थी, तो उनके द्वारा आप-पास के घर व रिश्तेदारी में तलाश किया तो भी पीडि़ता का कोई पता नहीं चला । जिस कारण फरियादी द्वारा पुलिस थाना झाबुआ में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। नाबालिक पीडिता करीबन 3 माह बाद वापस घर आई और उसके माता पिता को बताया कि वह घटना दिनांक को रात की 11 बजे घर आगंन में बैठी थी तभी गांव का आरोपी मनीष उर्फ मन्‍ना पिता रतनिया आया और उसे बोला कि चल मेरे साथ तुझे औरत बनाकर रखुगां। पीडिता ने मना किया तो उसे जान से मारने की धमकी देकर डरा धमका कर बस में बिठाकर सूरत ले गया था तथा एक झौपड़ी बनाकर रखा था उसके साथ गलत काम करता था। पुलिस थाना कोतवाली द्वारा पीडिता को दस्‍तयाब किया गया तथा उसके बयान लिये गये।विवेचना के दौरान आरोपी मनीष उर्फ मन्‍ना को गिरफ्तार कर अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र माननीय न्‍यायालय मे प्रस्‍तुत किया गया। अपराध की गंभीरता को देखते हुए, उक्‍त प्रकरण को जिले का चिन्हित एवं जघन्‍य सनसनीखेज घोषित किया गया था।अभियोजन की ओर से संचालनकर्ता श्रीमति मनीषा मुवेल, अति. जिला लोक अभियोजन अधिकारी जिला झाबुआ द्वारा प्रकरण में लिखित तर्क एवं मौखिक तर्क करते हुए अपना मामला बखुबी संदेह से परे साबित किया गया।विचारण के दौरान माननीय विशेष न्‍यायाधीश(लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम) श्री राजेन्‍द्र शर्मा, झाबुआ जिला झाबुआ द्वारा आरोपी मुन्‍ना उर्फ मनीष पिता रतना उम्र 23 साल निवासी कुण्‍डला को आज दिनांक को दोषी पाते हुये धारा 363, 366 भादवि में 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000/- रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया।

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